इस दवाई के कारण मरीज़ की त्वचा प्रकाश के प्रति संवेदनशील बन सकती है, खासकर कि कुछ मरीज़ों की त्वचा परा-बैंगनी किरणों के प्रति संवेदनशील हो सकती है। इसलिए जब भी आप घर से बाहर निकलें तो सूर्य की किरणों से बचने के लिए कोई अच्छा सन-प्रोटैकशन लोशन (sun-protection lotion) ज़रूर लगा लें।
स्टैमैटिल ख़ून में शुगर की मात्रा पर भी असर डालती है। इसलिए यदि आप डाइबिटीज़ से ग्रस्त हैं तो नियमित रूप से अपनी जाँच करवाते रहें।
यह दवा ज़्यादा नींद आने का (sedative) प्रभाव भी दिखा सकती है। इसलिए इसके प्रयोग से आप असावधानी (inattentive) महसूस कर सकते हैं, आपको धुँधला दिखाई देने लग सकता है, आपको नींद आने लग सकती है और कहीं पर या किसी चीज़ पर ध्यान देने की आपकी अवधि घट सकती है। हालाँकि ये सब लक्षण कुछ ही देर के लिए रहते हैं और जब आप यह दवा लेना बंद कर देते हैं तो ये लक्षण पूरी तरह से चले जाते हैं। शराब इन प्रतिक्रियाओं को बढ़ा देती है। इसलिए मशीनों से, गाड़ी चलाने से या ऐसे किसी भी काम से दूर रहना ही सुरक्षित होता है जिसमें चौकन्ना रहने की ज़रूरत हो।
कभी कभी आप सरदर्द या सर का भारीपन महसूस कर सकते हैं। अगर दर्द बहुत ज़्यादा हो तो आप डॉक्टर से दर्द निवारक (painkiller) दवा मांग सकते हैं।
मुँह का सूखना प्रोक्लोरपैराज़ाइन का एक अन्य दुष्प्रभाव है।
मांसपेशियों का आकस्मिक और अनैच्छिक तरीके से सक्रिय हो जाना, कुलबुलाहट होना (fidgeting) या कंपकंपी जैसी प्रतिक्रियाओं में त्वरित डॉक्टरी इलाज या उपचार की आवश्यकता होती है, इसलिए इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होने पर अपने डॉक्टर से जल्द से जल्द परामर्श करें। सामान्यतः दवा की मात्रा में फेर बदल करने से ऐसे लक्षणों के निदान में सहायता मिलती है।
आपके शरीर को अचानक गर्म या ठंडा लग सकता है क्योंकि यह दवाई शरीर के तापमान के विनियमन (regulation) को प्रभावित करती है। इस दवा का यह दुष्प्रभाव उम्रदराज़ वयस्कों में अधिक दिखाई पड़ता है। इन दोनों दुष्प्रभावों में से किसी से भी अत्यधिक रूप से पीड़ित होने से बचने के लिए अपने आप को पर्याप्त रूप से जलयुक्त (hydrated) और उपयुक्त रूप से कपड़ों से ढका हुआ रखें।
बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के सो पाने में कठिनाई होना, नींद में बार-बार परेशान होना, अचानक से वज़न कम हो जाना, नाक बलगम से भरी रहना, बढ़ी हुई दिल की धड़कनें, मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याएँ, मूत्र त्याग करने में परेशानी होना; यह सब प्रोक्लोरपैराज़ाइन के थोड़े कम सामान्य दुष्प्रभाव हैं। इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव करने पर तुरन्त डॉक्टरी सलाह लें।
शिशु को स्तनपान करा रही महिलाओं को स्टैमैटिल नहीं दी जाती क्योंकि यह दवा दूध बनाने वाले हॉर्मोन्स को प्रभावित करती है और अत्यधिक दूध उत्पादित करती है। कभी-कभार इसका परिणाम स्तनों में वृद्धि भी हो सकता है।
न्यूरोलैप्टिक मैलिग्नैण्ट सिंड्रोम – नसों या मांसपेशियों की अकड़न, बहुत ज़्यादा पसीना आना, धड़कनें अनियमित और तेज़ होना, रक्त चाप में परिवर्तन होना, ज़्यादा तापमान होना, यह सब न्यूरोलैप्टिक मैलिग्नैण्ट सिंड्रोम के संकेत हैं। स्टैमैटिल शायद ही कभी ऐसे अत्यधिक दुष्प्रभाव दिखाती है लेकिन यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को अनुभव करें, तुरन्त चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
ज़्यादा समय तक प्रोक्लोरपैराज़ाइन की उच्च ख़ुराक लेने से रक्त वाहिकाओं (blood vessels) और फेफड़ों (lungs) में खून के थक्के बनने का ख़तरा बढ़ सकता है जिन्हें क्रमशः डीप वेन थ्रौम्बोसिस (deep vein thrombosis) और पलमोनरी ऐम्बोलिज़्म (pulmonary embolism) कहते हैं। यह स्थितियाँ साँस न ले पाने, टाँग में तेज़ दर्द होने या सूजन के साथ उसके लाल हो जाने, खाँसी करते समय बहुत ज़्यादा दर्द का अनुभव करने या खाँसी में खून आने जैसी गम्भीर चिकित्सा समस्याओं को उत्पन्न करती हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे जब आप प्रोक्लोरपैराज़ाइन दवा ले रहे हों तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।