स्टैमैटिल टैब्लैट / प्रोक्लोरपैराज़ाइन मैलिएट

अन्य ब्राण्डों के नाम: बुक्कास्टैम (Buccastem), वौलिमिन (Volimin), ऐमेटिल (Ametil), प्रोक्लोरपैराज़ाइन (Prochlorperazine), प्रोक्लोज़ाइन (Prochlozine), बुकाटैल (Bukatel), नौसैटिल (Nausetil), ऐण्टीनौस (Antinaus), नोवामिन (Novamin), ऐक्यूवर्ट (Acuvert), वौमैटिल (Vometil), वरगोन (Vergon) तथा अन्य कुछ और नाम.

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स्टैमैटिल के बारे में

स्टैमैटिल प्रोक्लोरपैराज़ाइन मैलिएट दवा के बाज़ार में उपलब्ध प्रसिद्ध ब्राण्डों में से एक है। ऐसे अन्य ब्राण्ड हैं बुक्कास्टैम (Buccastem), वौलिमिन (Volimin), ऐमेटिल (Ametil), प्रोक्लोरपैराज़ाइन (Prochlorperazine), प्रोक्लोज़ाइन (Prochlozine), बुकाटैल (Bukatel), नौसैटिल (Nausetil), ऐण्टीनौस (Antinaus), नोवामिन (Novamin), ऐक्यूवर्ट (Acuvert), वौमैटिल (Vometil), वरगोन (Vergon) और अन्य कुछ और.

प्रोक्लोरपैराज़ाइन (Prochlorperazine) दवाओं के फ़ीनोथियाज़ाइन्ज़ (phenothiazines) नामक समूह से संबंधित है।

स्टैमैटिल के उपयोग

स्टैमैटिल या प्रोक्लोरपैराज़ाइन दवा प्राथमिक रूप से निम्नलिखित रोगों के उपचार में काम आती है:

  • चक्कर आना
  • वर्टिगो
  • असंतुलन से संबन्धित कुछ अन्य समस्याएँ
  • जी मचलाना
  • उल्टी आना
  • अतिव्याकुलता
  • अवसाद
  • स्किज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia)
  • बेचैनी
  • माईग्रेन के सरदर्द के कारण परेशानी और बेचैनी
  • लेबीरिन्थाइटिस (labyrinthitis) और मैनीएरेज़ रोग (Meniere’s disease) के लक्षण
  • कीमोथैरैपी होने के पश्चात जी मचलाना
  • Motion sickness (सफ़र करते समय तबीयत का ख़राब होना)

वर्टिगो, चक्कर आना, जी मचलाना, उल्टी आना, अचानक से समय और बाहरी दुनिया के सम्बन्ध में स्थितिभ्रांति (disorientation) हो जाना आदि वैस्टिब्यूलर विकार (Vestibular Disorder) के लक्षणों को खत्म करने में यह दवा सहायक होती है।

दवा का स्वरूप

स्टैमैटिल दवा टैब्लेटों, पेय पदार्थों, मुँह में घुल जाने वाली गोलियों, इंजैक्शनों तथा सपोज़िटरियों (suppositories) के रूप में मिलती है।

शक्ति/मात्रा

इस दवा की शक्ति/मात्रा 5 मिलिग्राम है। यह दवाइयाँ ऐम्प्यूल (ampoules) और सपोज़िटरियों (suppositories) के रूप में 12.5 मिलिग्राम और 25 मिलिग्राम में भी उपलब्ध हैं।

किन परिस्थितियों में स्टैमैटिल के प्रयोग से बचना चाहिए

नीचे कुछ ऐसी परिस्थितियाँ बताई गई हैं जिनमें डॉक्टर स्टैमैटिल न लेने की सलाह देते हैं। यदि आप इनमें से किसी भी स्वास्थ्य-समस्या या बीमारी से गुज़र रहे हैं तो स्टैमैटिल लेने/दिये जाने से पहले आप अपने डॉक्टर को अवश्य सूचित करें।

  • श्वसन सम्बन्धी समस्याएँ (respiratory problems)
  • थायरॉइड के विकार
  • यकृत (liver), गुर्दा (kidney) या पौरुष ग्रंथि (prostate) के विकार
  • हृदय से संबन्धित समस्या
  • आप गर्भधारण की तैयारी कर रहे हों या गर्भवती हों
  • स्तनपान
  • अधिवृक्क ग्रंथि (adrenal gland) में पहले कभी ट्यूमर रहा हो या वर्तमान में हो या फ़िर यह ग्रंथि ट्यूमर के प्रति अतिसंवेदनशील हो
  • दवाओं के कारण गंभीर ऐलर्जिक रिऐक्शन (allergic reactions) होते हों या होने की संभावना हो
  • पीलिया
  • रक्त से सम्बन्धित कोई भी संक्रमण या विकार
  • मिर्गी
  • ग्लूकोमा (glaucoma) (आँखों का रोग)
  • मांसपेशियों की कमज़ोरी
  • पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease)
  • खून के थक्के (blood clots) या घनास्त्रता (thrombosis)

उपरोक्त समस्याओं के अलावा यदि आप पहले से किसी दवा का नियमित सेवन कर रहे हों या कोई हर्बल सप्लिमैंट ले रहे हों तो डॉक्टर द्वारा स्टैमैटिल लेने की सलाह दिये जाने से पहले अपने डॉक्टर को इस बारे में ज़रूर बताएं।

स्टैमैटिल लेने का तरीक़ा एवं मात्रा

प्रोक्लोरपैराज़ाइन सामान्यतः दिन में दो या तीन बार ली जाती है या फ़िर समस्या की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जैसे डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो, वैसे ली जाती है।

कुछ समय के लिए जी मचलाने , उल्टी होने, वर्टिगो एवं अन्य संतुलन-संबन्धित विकारों में डॉक्टर स्टैमैटिल या उसी के प्रकार की अन्य दवाइयाँ लेने की सलाह देते हैं।

ज़्यादा समय तक आराम पाने के लिए वर्टिगो के मरीज़ों के लिए दवाओं के कोर्स के साथ-साथ वैस्टिब्यूलर पुनर्वासन ट्रेनिंग (vestibular rehabilitation training) सबसे ज़्यादा कारगर होती है। वैस्टिब्यूलर विकारों के कारण एवं कम समय के लिए होने वाली वर्टिगो और जी मचलाने की समस्या का इलाज करने के लिए स्टैमैटिल दवा की कम मात्रा (dose) का इस्तेमाल किया जाता है। लक्षणों के गंभीर हो जाने पर स्टैमैटिल और उसकी जगह इस्तेमाल होने वाली अन्य दवाइयाँ प्रत्येक लक्षण से तो आराम दिलाती हैं लेकिन बीमारी का स्थायी इलाज करने के लिए भली-भाँति रोग की पहचान और उपयुक्त इलाज दोनों किए जाने चाहिएँ।

जब आप इस दवा का सेवन कर रहे हों तो उस दौरान शराब पीने से बचना चाहिए।

ऐण्टैसिड दवाएं प्रोक्लोरपैराज़ाइन दवा के साथ हस्तक्षेप कर सकती हैं और उसे कम असरदार बना सकती हैं। स्टैमैटिल के साथ सेवन करने पर कौन सी दवाएं नकारात्मक/प्रतिकूल परिणाम दिखा सकती हैं इस विषय पर डॉक्टर से परामर्श कर लेना लाभदायक होता है।

जी मचलाने और उल्टी होने की समस्याएं अत्यधिक हो जाने की स्थिति में अंतर्मान्स्पेशीय दवा का दिया जाना बहुत सहायक होता है। 5 से 10 मिनटों के अंदर यह दवा काम करना शुरू कर देती है और इसका असर 3 से 4 घण्टों तक रहता है। मुँह में घुलने वाली गोलियाँ थोड़ी देर से आराम दिलाती हैं लेकिन इनका असर लगभग 6 घण्टों तक रहता है।

इसके लिए आप घुलनशील प्रोक्लोरपैराज़ाइन टैब्लैट को अपने ऊपरी होंठ और मसूड़े के बीच में रख सकते हैं।

स्टैमैटिल/ प्रोक्लोरपैराज़ाइन के दुष्प्रभाव (Side-Effects)

इस दवाई के कारण मरीज़ की त्वचा प्रकाश के प्रति संवेदनशील बन सकती है, खासकर कि कुछ मरीज़ों की त्वचा परा-बैंगनी किरणों के प्रति संवेदनशील हो सकती है। इसलिए जब भी आप घर से बाहर निकलें तो सूर्य की किरणों से बचने के लिए कोई अच्छा सन-प्रोटैकशन लोशन (sun-protection lotion) ज़रूर लगा लें।

स्टैमैटिल ख़ून में शुगर की मात्रा पर भी असर डालती है। इसलिए यदि आप डाइबिटीज़ से ग्रस्त हैं तो नियमित रूप से अपनी जाँच करवाते रहें।

यह दवा ज़्यादा नींद आने का (sedative) प्रभाव भी दिखा सकती है। इसलिए इसके प्रयोग से आप असावधानी (inattentive) महसूस कर सकते हैं, आपको धुँधला दिखाई देने लग सकता है, आपको नींद आने लग सकती है और कहीं पर या किसी चीज़ पर ध्यान देने की आपकी अवधि घट सकती है। हालाँकि ये सब लक्षण कुछ ही देर के लिए रहते हैं और जब आप यह दवा लेना बंद कर देते हैं तो ये लक्षण पूरी तरह से चले जाते हैं। शराब इन प्रतिक्रियाओं को बढ़ा देती है। इसलिए मशीनों से, गाड़ी चलाने से या ऐसे किसी भी काम से दूर रहना ही सुरक्षित होता है जिसमें चौकन्ना रहने की ज़रूरत हो।

कभी कभी आप सरदर्द या सर का भारीपन महसूस कर सकते हैं। अगर दर्द बहुत ज़्यादा हो तो आप डॉक्टर से दर्द निवारक (painkiller) दवा मांग सकते हैं।

मुँह का सूखना प्रोक्लोरपैराज़ाइन का एक अन्य दुष्प्रभाव है।

मांसपेशियों का आकस्मिक और अनैच्छिक तरीके से सक्रिय हो जाना, कुलबुलाहट होना (fidgeting) या कंपकंपी जैसी प्रतिक्रियाओं में त्वरित डॉक्टरी इलाज या उपचार की आवश्यकता होती है, इसलिए इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होने पर अपने डॉक्टर से जल्द से जल्द परामर्श करें। सामान्यतः दवा की मात्रा में फेर बदल करने से ऐसे लक्षणों के निदान में सहायता मिलती है।

आपके शरीर को अचानक गर्म या ठंडा लग सकता है क्योंकि यह दवाई शरीर के तापमान के विनियमन (regulation) को प्रभावित करती है। इस दवा का यह दुष्प्रभाव उम्रदराज़ वयस्कों में अधिक दिखाई पड़ता है। इन दोनों दुष्प्रभावों में से किसी से भी अत्यधिक रूप से पीड़ित होने से बचने के लिए अपने आप को पर्याप्त रूप से जलयुक्त (hydrated) और उपयुक्त रूप से कपड़ों से ढका हुआ रखें।

बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के सो पाने में कठिनाई होना, नींद में बार-बार परेशान होना, अचानक से वज़न कम हो जाना, नाक बलगम से भरी रहना, बढ़ी हुई दिल की धड़कनें, मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याएँ, मूत्र त्याग करने में परेशानी होना; यह सब प्रोक्लोरपैराज़ाइन के थोड़े कम सामान्य दुष्प्रभाव हैं। इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव करने पर तुरन्त डॉक्टरी सलाह लें।

शिशु को स्तनपान करा रही महिलाओं को स्टैमैटिल नहीं दी जाती क्योंकि यह दवा दूध बनाने वाले हॉर्मोन्स को प्रभावित करती है और अत्यधिक दूध उत्पादित करती है। कभी-कभार इसका परिणाम स्तनों में वृद्धि भी हो सकता है।

न्यूरोलैप्टिक मैलिग्नैण्ट सिंड्रोम – नसों या मांसपेशियों की अकड़न, बहुत ज़्यादा पसीना आना, धड़कनें अनियमित और तेज़ होना, रक्त चाप में परिवर्तन होना, ज़्यादा तापमान होना, यह सब न्यूरोलैप्टिक मैलिग्नैण्ट सिंड्रोम के संकेत हैं। स्टैमैटिल शायद ही कभी ऐसे अत्यधिक दुष्प्रभाव दिखाती है लेकिन यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को अनुभव करें, तुरन्त चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।

ज़्यादा समय तक प्रोक्लोरपैराज़ाइन की उच्च ख़ुराक लेने से रक्त वाहिकाओं (blood vessels) और फेफड़ों (lungs) में खून के थक्के बनने का ख़तरा बढ़ सकता है जिन्हें क्रमशः डीप वेन थ्रौम्बोसिस (deep vein thrombosis) और पलमोनरी ऐम्बोलिज़्म (pulmonary embolism) कहते हैं। यह स्थितियाँ साँस न ले पाने, टाँग में तेज़ दर्द होने या सूजन के साथ उसके लाल हो जाने, खाँसी करते समय बहुत ज़्यादा दर्द का अनुभव करने या खाँसी में खून आने जैसी गम्भीर चिकित्सा समस्याओं को उत्पन्न करती हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे जब आप प्रोक्लोरपैराज़ाइन दवा ले रहे हों तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।

अन्य दवाओं के साथ इस दवा को लेने के परिणाम

जब आप स्टैमैटिल या उसकी किसी वैकल्पिक दवा का सेवन कर रहे हों तो निम्नलिखित दवाइयाँ लेने से बचें क्योंकि जब यह दवाएं प्रोक्लोरपैराज़ाइन के साथ ली जाती हैं तो ये अत्यधिक ऊंघ (drowsiness) लाती हैं और शमन (sedation) करती हैं।

  • ट्राईसाईक्लिक ऐण्टीडिप्रैसैण्ट्स
  • नींद की गोलियां
  • ऐण्टी हिस्टामाइन्ज़
  • अफीम से बनी शक्तिशाली दर्द निवारक दवाइयाँ
  • बैन्ज़ोडायाज़ीपाइन्ज़
  • ऐण्टीडिप्रैसैण्ट्स
  • बार्बिच्युरेट्स

दवाई को रखने का उचित स्थान एवं एहतियात

  • इस दवा को किसी ठण्डे और शुष्क/नमी रहित स्थान पर रखेँ जो गर्मी और नमी के सीधे संपर्क से दूर हो।
  • कभी भी ज़्यादा मात्रा में इस दवा को ना लें। यदि आपने गलती से इसे ज़्यादा मात्रा में ले लिया हो तो तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
  • इस दवा को बच्चों से दूर रखेँ।
  • ऐक्सपाइरी डेट निकाल जाने के बाद इस दवा का सेवन ना करें।
  • जिस पैकेट से छेड़छाड़ की गयी हो या जो फटा हुआ हो उस पैकेट की दवा न लें।

स्टैमैटिल कैसे काम करती है?

प्रोक्लोरपैराज़ाइन दवा मस्तिष्क में डोपामीन डी2 रिसैप्टर्ज़ (dopamine (D2) receptors) को अवरुद्ध करती है। डोपामीन मस्तिष्क में पाया जाने वाला एक न्यूरोट्रान्समिटर (neurotransmitter) है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच न्यूरल सिग्नलों के आदान-प्रदान में सहायता करता है। यह मूड और व्यवहार को नियंत्रित करता है।

प्रोक्लोरपैराज़ाइन दवा मस्तिष्क के उस हिस्से में इन डोपामीन रिसैप्टर्ज़ को जाँचती है जो हिस्सा जी मचलाने और उल्टी होने को नियंत्रित करता है। उल्टी होने की अनैच्छिक क्रिया मस्तिष्क के उल्टी होने के केंद्र से शुरू (trigger) होती है जब इसे पेट से और मस्तिष्क के कीमोरिसैप्टर ट्रिगर ज़ोन (Chemoreceptor Trigger Zone (CTZ)) से न्यूरल सन्देश प्राप्त होते हैं।

उल्टी होने की अनैच्छिक क्रिया को शुरू (trigger) करने के लिए CTZ सिग्नलों को उल्टी होने के केंद्र को भेजता है। सिग्नलों का यह प्रेषण डोपामीन के ज़रिये होता है। स्टैमैटिल या इसकी जैसी अन्य दवाइयाँ CTZ और पेट में डोपामीन रिसैप्टर्ज़ को अवरुद्ध कर देती हैं और उल्टी होने के केंद्र तक सिग्नल प्रेषण को रोक देती हैं। इस प्रकार यह दवाएं जी मचलाने की अनुभूति को और उल्टी होने को रोकने के प्रति काम करती हैं।

डोपामीन रिसैप्टर्ज़ का अवरुद्ध होना अतिव्याकुलता (hyper-anxiety) और उससे संबन्धित साईकौटिक विकारों (psychotic disorders) को भी कम कर देता है क्योंकि यह मस्तिष्क में अतिसक्रिय डोपामीन पर अंकुश लगाता है।
स्टैमैटिल या इसकी जैसी अन्य दवाइयाँ जिनमें प्रोक्लोरपैराज़ाइन सक्रिय सामाग्री होती है काफी प्रसिद्ध ऐण्टीसाईकौटिक (antipsychotic) और ऐण्टीऐमैटिक (antiemetic) दवाएं हैं।

स्टैमैटिल के दिये जाने के और उसके दुष्प्रभावों के बारे में अपने सारे सन्देहों को अपने डॉक्टर को दूर करने दें।

प्रोक्लोरपैराज़ाइन बिना किसी ब्राण्ड के नाम के एक जैनैरिक दवा के रूप में बाज़ार में बिना किसी रोक-टोक के उपलब्ध है। हालाँकि आपको फार्मासिस्ट से अपनी हालत के बारे में बताने के लिए और वर्तमान में चल रही दवाओं के बारे में बताने के लिए बात कर लेनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के अवांछित दुष्प्रभावों की संभावना को नकारा जा सके।

डॉ अनीता भंडारी

डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है। डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है।

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