बेनिगिन पेरोक्साइज़मल पोजिशनल वर्टिगो (बीपीपीवी)

बेनिगिन पेरोक्साइज़मल पोजिशनल वर्टिगो (बीपीपीवी) वर्टिगो (चक्कर आना) के कारणों में से एक है। पता लगाएं कि इसका कारण क्या है, इसके लक्षण, इसका इलाज कैसे किया जाता है।

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बीपीपीवी क्या है?

Vertigo के सबसे प्रचलित कारणों में से एक है बीपीपीवी (BPPV – Benign Paroxysmal Positional Vertigo). अचानक सर चकराना इसका मुख्य लक्षण है और यह तब महसूस होता है जब मरीज़ लेटे हुए करवट बदलता है या अचानक पलटता है या अपना स्थान बदलता है । BPPV कान के अंदरूनी हिस्से की बिमारी है । यह तब होता है जब अंतःकर्ण के Utricle में स्थित Gel में मौजूद calcium carbonate के कण (otoconia) विस्थापित हो जाते हैं (अपनी जगह से हटना) और तीन अर्ध-वृताकार नलिकाओं में चले जाते हैं ।

जब ये otolith आन्तरिक कान की नलिकाओं में इकट्ठा होने लगता है तो यह इन नलिकाओं के} सिर की किसी भी गति को महसूस किये जाने वाली प्रक्रिया में बाधा डालता है, जिससे कान का अंदरूनी हिस्सा दिमाग को गलत संकेत भेजता है ।

Vertigo अथवा चक्कर आने का एहसास मात्र एक-दो मिनट ही रहता है । Vertigo की अवधि में कुछ लोगों को लक्षणों का एहसास नहीं होता है तथा अन्य को असंतुलन महसूस होता है ।

बीपीपीवी के कारण

  • सिर में चोट लगने से इसकी संभावना अधिक होती है
  • लम्बे समय तक Bed rest करना
  • वृद्धावस्था
  • कान का संक्रमण (EAR INFECTION)
  • कान का ऑपरेशन

बीपीपीवी के लक्षण

कुछ लोगों में यह किसी स्पष्ट कारण के बिना भी हो सकता है । इसे Idiopathic कहते हैं । BPPV के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –

  • चक्कर आना
  • स्थान परिवर्तन करने से होने वाला एहसास, जिसमें आसपास की चीजें घूमने लगती हैं (Vertigo)
  • जी मिचलाना
  • उल्टी होना

सर घूमने के ये चक्र मात्र कुछ क्षण के होते हैं । BPPV के लक्षण कुछ समय के लिए गायब हो सकते हैं तथा फिर कुछ समय बाद दोबारा महसूस हो सकते हैं ।

जब कोई अपने सर को हिलाता है तब ये लक्षण सक्रिय हो जाते हैं । कुछ लोगों को खड़े रहने या चलने की अवस्था में भी असंतुलन का एहसास होता है ।

आँखों की लयबद्ध पर असामान्य गति जिसे Nystagmus कहते हैं, भी सामान्यतया BPPV के लक्षणों के साथ देखी जाती है ।

बीपीपीवी के निदान

BPPV के मरीज़ के सिर हिलाने पर कान में Crystols उत्तेजित हो जाते हैं और दिमाग की नलिकाओं का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे गलत संकेत पैदा होतें हैं और इस वजह से आँखें एक खास तरीके से घूमने लगती हैं । इसे ‘Nystagmus’ कहते हैं ।

हमारी आँखों की मांसपेसियों और आंतरिक कान के बीच जुडाव होता है जिससे हमारा सिर घुमाने पर भी बाहरी वातावरण के साथ संतुलन बना रहता है । इसे Vestibulo – Ocular Reflex (VOR) कहते हैं । कान में विस्थापित Crystols के उत्तेजित होने से Nystagmus या आँखों के घूमने का एहसास होता है । Nystagmus के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं की अंदरूनी कान की नलिकाओं में Crystals कहाँ जमा होते हैं ।

Dix-Hall Pike या Roll Test में मरीज़ के सर को खास तरह से घुमाया जाता है, जिससे Crystals अपनी जगह से हिल जाते हैं और vertigo के लक्षण उत्पन्न करते हैं । इसी दौरान डॉक्टर Nystagmus अर्थात् आँखों के घूमने की जाँच करते हैं । इस Test में Videonystagmography (VNG) की मदद से जाँच की जाती है जिससे Otolith कणों की सही जगह का पता लगाया जा सके । इन कणों के स्थान का पता लगने के बाद ही इन्हें हटाने के लिए चिकित्सा पद्धति तय की जा सकती है ।

  • Dix Hall Pike Manoeuvre

BPPV की जाँच करने हेतु डॉक्टर Dix Hall Pike परीक्षण करते हैं, जिनमे मरीज़ को लेटाकर उसके सिर को 45° पर घुमाया जाता है और लगभग 30° नीचे की और लटका दिया जाता है । अगर मरीज़ की आँखों में कोई भी अनैच्छिक / अवांछनीय गतिविधि देखी जाये तो इसका मतलब है की मरीज़ के कान के पिछले हिस्से में स्थित अर्ध – वृत्ताकार नलिकाओं में BPPV हो सकता है ।

अन्य परीक्षण जैसे कि McClure Test पार्श्व नलिकाओं में Otoliths की जाँच करने के लिए किया जाता है । सिर को नीचे तक लटकाकर किये जाने वाले परीक्षण से कान की अगली नलिकाओं में स्थित BPPV का पता लगाया जाता है ।

बीपीपीवी के प्रकार

BPPV दो प्रकार के होते हैं – Canalithiasis और Cupulolithiasis.

Canalithiasis में नलिकाओं के तरल पदार्थ में स्वतंत्र कण मुक्त गति से घूमते हैं जबकि cupulolithiasis बहुत कम लोगों में पाया जाता है । इस स्थिति में कण cupula से चिपक जाते हैं जिससे बहुत तीव्र व लम्बे समय तक vertigo हो सकता है ।

Canalithiasis में जैसे ही मरीज़ का सिर किसी विशेष कोण में घूमता है, एक मिनट से भी कम समय में crystals का घूमना रुक जाता है । जैसे ही Calcium Corbonate के कण रुक जाते हैं, कान के अन्दर का तरल पदार्थ स्थिर हो जाता है । अंततः Nystagmus और Vertigo भी रुक जाते हैं ।

Cupulolithiasis में Sensory nerves से जुड़े crystals की वज़ह से Nystagmus होता है, जिससे Vertigo भी लम्बे समय तक होता रहता है, जब तक की सिर को हानिकारक स्थिति से ना निकाला जाये। दोनों के लक्षणों को अलग-अलग पहचानना अति-आवश्यक होता है, क्योंकि दोनों का उपचार अलग-अलग होता है। BPPV की जाँच MRI से संभव नहीं है ।

बीपीपीवी के उपचार

1. BPPV का इलाज़

Vestibular Suppressants से BPPV का इलाज़ नहीं किया जा सकता है। इन दवाओं से vertigo के एहसास को दबाया जा सकता है परन्तु BPPV का इलाज़ संभव नहीं है ।

अगर BPPV कान के संक्रमण या कान में सूजन की वज़ह से होता है, तो डॉक्टर antibiotic और अन्य दवाएं देते हैं जिससे बहुत गम्भीर vertigo में होने वाली उल्टी, जी मिचलाना, आदि का इलाज़ होता है ।
BPPV का इलाज़ दवाओं से संभव नहीं है । इसकी recurrence (पुनरावृत्ति) के आधार पर या अन्य चिकित्सा पद्धति से इलाज़ नहीं होने पर, कुछ मरीजों को शल्य चिकित्सा की सलाह दी जाती है ।

2. BPPV के व्यायाम

BPPV को कणों की स्थिति पर निर्भर करते हुऐ विभिन्न Repositioning तकनीकों के द्वारा ठीक किया जा सकता है। एक बार यदि आपका चिकित्सक यह पता लगा ले कि ये कण (Crystals) किस नलिका में है तथा कौनसे प्रकार का है (canalithiasis या cupulolithiasis), फिर उसके लिये उपचार की सही तकनीक निर्धारित करना आसान रहता है।

Canalith या Particle Repositioning नामक इन तकनीकों में गुरूत्वाकर्षण की मदद से सिर को अलग-अलग स्थिति में घुमाकर इन कणों को फिर से utricle में पहुंचाया जाता है।
Cupulolithiasis के केस में Liberatory तकनीक का इस्तेमाल किया जाता हैं, जिनमें उन लटके हुऐ कणों को विस्थापित करने के लिये प्रभावित नलिका के समान स्तर पर सिर को तीव्र गति से घुमाया जाता है।

3. Epley’s तकनीक

Epley’s तकनीक सामान्यतया सबसे ज्यादा प्रयोग की जाती है, परन्तु यह सभी प्रकार के BPPV के लिये उपयोगी नहीं हैं।

अक्सर लोग Epley’s तकनीक का इस्तेमाल या तो स्वयं करते हैं या किसी चिकित्सक के निर्देषन में, परन्तु उसका लाभ पूर्णतया नहीं मिल पाता। बाद में पता चलता है कि Epley’s की जगह किसी और तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था या फिर Otolith किसी और नलिका में फंसा हुआ था या कई बार BPPV होता ही नहीं है।

4. Canalith Repositioning

Canalith Repositioning कि अन्य तकनीकों में Semont’s तकनीक, Gufoni, Vanuchhi, Yaccovini, Reverse Epley, Deep Head Hanging आदि तकनीकें शामिल हैं। इन तकनीकों की सलाह अलग-अलग BPPV के हिसाब से दी जाती है। इसलिए चिकित्सक स्वःचिकित्सा करते हुए या किसी अप्रषिक्षित चिकित्सक से इलाज करवाने में सावधानी बरतते हैं, जिसे BPPV के प्रकार जांचने तथा उसके अनुसार चिकित्सा करने का अनुभव ना हो।

जिन मरीजों को कण विस्थापन Partical Repositioning तकनीक से फायदा ना मिलता हो या जिन्हे बार-बार BPPV की षिकायत होती हैं,उनके लिए स्वयं घर पर की जा सकने वाली Brandt-Daroff Exercise काफी लाभदायक होती हैं। हालांकि यह व्यायाम बहुत ध्यान से करने चाहिए, अन्यथा इन्हे करते वक्त मरीज को Vertigo का अहसास हो सकता है।

5. Semont Maneuver

Repositioning / विस्थापन की यह तकनीक किसी प्रक्षिशित चिकित्सक ही की जा सकती है । Epley’s की तकनीक की तरह इसमें भी otolith को मुक्त करके उनके सही स्थान तक पहुँचाया जाता है ।

Semont’s तकनीक कैसे करें –

स्टेप 1– मरीज़ को टेबल पर बैठाया जाता है ताकि उसके पैर नीचे की ओर लटके हों ।
स्टेप 2– जिस भी दिशा में समस्या हो, मरीज़ का सिर उसके विपरीत दिशा में चिकित्सक 45 डिग्री तक घुमाया जाता है ।
स्टेप 3– सिर को दांयी ओर 45 डिग्री घुमाते हुए बांयी ओर से ऊपर की ओर घुमाया जाता है, जिससे नाक उपर की दिशा में हो ।
स्टेप 4– 30 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहे ।
स्टेप 5– इसी मुद्रा में रहते हुए तेजी से मरीज़ का सिर दूसरी दिशा में घुमा दिया जाता है जिससे नाक नीचे की ओर हो जाये ।
स्टेप 6– इस मुद्रा में 30 सेकंड तक रहे ।
स्टेप 7– धीरे से मरीज को उठाकर बैठा दिया जाता है जब तक वह खड़े होने में समर्थ न महसूस करे ।

Epley ओर semont तकनीक BPPV का इलाज़ करने के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी एवं प्रचलित है ।

6. Barbeque तकनीक –

इस तकनीक का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए किया जाता है जिन्हें lateral semi-circular canals में BPPV की शिकायत होती है ।

7. Brandt-Dariff व्यायाम –

इस व्यायाम की मदद से दिमाग को आंतरिक कान की समम्स्या की वजह से मिल रहें गलत संकेतों में सामंजस्य बैठाने में सहायता मिलती है । Brandt-Dariff व्यायाम को कई हप्तों तक नियमित रूप से प्रतिदिन दो – तीन बार करने से ही मनचाहे परिणाम मिलते हैं ।

Brandt-Dariff व्यायाम कैसे करें –

स्टेप 1 – पलंग पर सीधे बैठ जाएँ और पैर नीचे की ओर लटकाएं ।
स्टेप 2 – सिर को 45 डिग्री बांयी और घुमायें । शरीर को दाहिनी और इस तरह झुकाएं कि सिर पलंग पर हो ओर नाक ऊपर की दिशा में ।
स्टेप 3 – इस मुद्रा में 30 सेकंड तक या तब तक रहें, जब तक Vertigo कम ना हो जाये ।
स्टेप 4 – स्टेप 1 की तरह सीधे बैठ जायें ।
स्टेप 5 – अब सिर को 45 डिग्री दायीं ओर घुमायें ओर बाकी शरीर को बायीं ओर इस तरह घुमायें की सिर पलंग पर हो ओर नाक ऊपर की दिशा में ।
स्टेप 6 – 30 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें ।
स्टेप 7 – अब उठकर पलंग पर बैठ जायें । इस व्यायाम को दिन में 2-3 बार करें । अगर मरीज़ को तीव्र Vertigo है तो यह व्यायाम किसी की निगरानी में किया जाना चाहिए ।

बीपीपीवी के लिए शल्य क्रिया

शल्य क्रिया की सलाह तभी दी जाती है जब इन liberatory तकनीकों से फ़ायदा ना हो या vertigo की बार – बार पुनरावृत्ति की वजह से मरीज़ की दिनचर्या प्रभावित होती है । BPPV का इलाज़ करने के लिए Single neurectomy, canal occlusion या plugging जैसी शल्य क्रियाएं की जा सकती हैं ।

बीपीपीवी के लिए आपातकालीन चिकित्सा

सामान्यतया BPPV के लक्षण तीव्र नहीं होते हैं, लेकिन अगर तीव्र हों तो तुरन्त चिकित्सक से संपर्क करें ।

आपातकालीन अवस्था जिसमें चिकित्सकीय मदद चाहिए –

  • साँस लेने में परेशानी,
  • ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी,
  • गिरना,
  • आघात,
  • चक्कर आना,
  • शरीर के किसी हिस्से का लकवाग्रस्त होना,
  • शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी या सुन्न पड़ जाना,
  • विचलित महसूस करना,
  • असहनीय सिरदर्द,
  • लगातार उल्टी होना,
  • सुनने की क्षमता कम या ख़त्म होना,
  • सीने में दर्द ।

NeuroEquilibrium™ में प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा सुसज्जित यंत्रों और साधनों की मदद से BPPV की जाँच की जाती है तथा उसके अनुसार Vertigo या अनियंत्रण के शिकार मरीज़ों का सफल इलाज़ किया जाता है ।

डॉ अनीता भंडारी

डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है। डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है।

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