स्टूजैरौन फोर्टे टैब्लैट

सक्रिय पदार्थ: सिनारिज़ाइन। सिनारिज़ाइन के अन्य उपलब्ध ब्राण्डों में शामिल हैं सिन्न, सिन्ज़ैन, सिंटीगो, डिज़िरौन, स्टैडिसिन, स्टुजिल इत्यादि।

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सिनारिज़ाइन - स्टूजैरान

स्टूजैरौन एक ऐसी दवाई है जो आमतौर पर वर्टिगो (vertigo), मोशन सिकनैस (motion sickness) (यानि सफ़र करते समय तबीयत का ख़राब होना) और माइग्रेन के लिए दी जाती है। सिनारिज़ाइन स्टूजैरान में पाया जाने वाला सक्रिय पदार्थ है। डायमैनहाइडृनेट के साथ मिश्रित किए जाने पर यह 25 मिलीग्राम, 75 मिलीग्राम और 20 मिलीग्राम की मात्राओं में उपलब्ध है। सिनारिज़ाइन के जो अन्य ब्रांड उपलब्ध हैं वे हैं सिन्न, सिन्ज़ैन, सिंटीगो, डिज़िरौन, स्टैडिसिन, स्टुजिल इत्यादि।

परहेज़ एवं एहतियात

बच्चों को तथा गर्भावस्था एवं स्तनपान के दौरान महिलाओं को सिनारिज़ाइन नहीं देनी चाहिए। ज्यादा उम्र वाले मरीजों में यह संज्ञानात्मक समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। पार्किंसन्ज़ रोग (Parkinson’s disease) के मरीजों के लक्षणों को यह और बिगाड़ सकती है।

जिगर (liver) या गुर्दे (kidney) की समस्याओं में तथा पोरफ़ायरिया (porphyria) में सिनारिज़ाइन न लेने की सलाह दी जाती है।

दुष्प्रभाव

सिनारिज़ाइन लेने के कारण होने वाला सबसे आम प्रतिकूल प्रभाव ऊंघ (drowsiness) आना है, जिसके बाद जी मचलाना (nausea), उल्टी होना एवं अन्य उदर-सम्बन्धी (abdominal) विकारों का होना आता है। लम्बे समय तक इस दवा को लेने के कारण थकान, वज़न बढ़ना, अवसाद (depression), कंपकंपी छूटना (tremors) तथा सैकिण्डरी पार्किंसन्ज़ रोग (secondary Parkinson’s disease) जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

अन्य दवाओं के साथ इस दवा को लेने के परिणाम

सिनारिज़ाइन लेने वालों को शराब पीने से परहेज़ करना चाहिए। इस दवा को बीटाहिस्टाइन (Betahistine) जैसी दवाओं के साथ भी नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि इन दोनों दवाओं के कार्य करने के तरीक़े विपरीत होते हैं।

दोनों दवाओं को साथ में देने से दोनों ही दवाओं की प्रभावशीलता (efficiency) घट जाती है।

सिनारिज़ाइन को अन्य ऐसी दवाओं के साथ नहीं दिया जाना चाहिए जो दवाएँ शामक प्रभाव (sedation) डालती हैं। अत्यधिक वर्टिगो (vertigo) और चक्कर आने की घटनाओं में सिनारिज़ाइन एक प्रभावशाली दवा है। इसका उपयोग मोशन सिकनैस (motion sickness) (यानि सफ़र करते समय तबीयत का ख़राब होना) में भी किया जाता है। यह टैब्लैट सफर शुरू होने से कम से कम 40 मिनट पहले दी जानी चाहिए ताकि दवा का असर शुरू होकर मोशन सिकनैस (motion sickness) (यानि सफ़र करते समय तबीयत का ख़राब होना) को नियंत्रित कर सके। वर्टिगो (vertigo) की अत्यधिक समस्या होने पर यह दवा 5 दिनों से ज़्यादा नहीं दी जानी चाहिए। यह मस्तिष्क की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है।

कार्य प्रणाली

सिनारिज़ाइन के काम करने के 2 तरीक़े होते हैं। यह ऐण्टीहिस्टामाइन (antihistamine) दवा की तरह कार्य करती है। यह हिस्टामाइन H1 रिसैप्टर्ज़ (histamine H1 receptors) से बंधकर उन्हें अवरुद्ध कर देती है और शरीर के हिस्टामाइन को रिसैप्टर्ज़ को सक्रिय नहीं होने देती। इस प्रकार हिस्टामाइन की क्रिया अवरुद्ध हो जाती है। सिनारिज़ाइन के काम करने का दूसरा तरीक़ा यह है कि वह कैल्शियम की नली को अवरुद्ध कर देती है। यह cell membranes के माध्यम से कैल्शियम ions के अन्तःप्रवाह (influx) को चुनिन्दा रूप से अवरुद्ध करती है। इसके कारण वैस्टिब्यूलर रिसैप्टर्ज़ (vestibular receptors) की संवेदनशीलता घट जाती है और परिणामस्वरूप यह सफर के कारण चक्कर आने के लक्षणों को कम कर देती है। कैल्शियम की नालियों को अवरुद्ध करने वाली दवाओं की माईग्रेन (migraine) की रोकथाम में भी भूमिका होती है।

Neuro Equilibrium में वर्टिगो (vertigo) या असंतुलन के कारण को न्यूरो-ऑटोलॉजिकल परीक्षणों (neuro-otological tests) के माध्यम से पहचाना जाता है। उसके बाद शरीर का वह अंग जो वर्टिगो (vertigo) के कारण के रूप में पहचाना गया है उसका उपचार प्रत्येक मामले में यथानुकूल दवाइयों, पुनर्वासन या शल्य-चिकित्सा द्वारा किया जाता है।

डॉ अनीता भंडारी

डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है। डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है।

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