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    MalDe डेबर्कमेंट सिंड्रोम (एमडीडीएस)

    MalDe Debarquement Syndrome बहुत कम लोगों में पायी जाने वाली बिमारी है लेकिन विशेष तौर पर समुद्र मे यात्रा से विकसित होेता है। रोगी को निरंतर चलते रहने, झूलने या धक्के देने जैसा महसूस होता है। कई लोग लंबी हवाई यात्रा के बाद भी इसे महसूस करते है। यहां इसके लक्षण, कारणों और उपचार के बारे में सबकुछ जानें।

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    मल डी डेबर्कमेंट सिंड्रोम क्या है?

    MalDe Debarquement Syndrome बहुत कम लोगों में पायी जाने वाली बिमारी है लेकिन विशेष तौर पर समुद्र मे यात्रा से विकसित होेता है। रोगी को निरंतर चलते रहने, झूलने या धक्के देने जैसा महसूस होता है। कई लोग लंबी हवाई यात्रा के बाद भी इसे महसूस करते है।

    पुरूषो की तुलना मे महिलाओ मे अधिक पायी जाती है और रोजमर्रा की जिंदगी मे व्याकुलता पैदा कर सकती है। कई लोग बिना गतिशील हुए भी MDds को महसूस कर सकते है इसके लक्षण प्रत्येक व्यक्ति मे भिन्न हो सकते हैं। इसके लक्षण गाड़ी चलाते समय, या हवाई जहाज मे यात्रा करते समय कम हो जाते है। MDds की पहचान ठीक तरह न हो पाने के कारण इसका ईलाज ठीक से नही हो पाता है।

    मल डी डेबर्कमेंट सिंड्रोम के लक्षण

    MDds के मुख्य लक्षण लहरे आना, असंतुलित होना आदि है ंिचंता और depression कमचतमेेपवद भी इस विकार के साथ आ सकते है सोते समय, या बैठने से इसके लक्षण और भी तीव्र हो जाते है। तनाव कई रोगियो मे लक्षणो को और बढ़ा सकता हैं।

    मल डी डेबर्कमेंट सिंड्रोम कि जाँचे

    MDds डक्के में रोगी को यात्रा करने के पश्चात बैठने या सोने पर चक्कर या असंतुलन की शिकायत होनी चाहिए। ऐसे ही दूसरे लक्षणों के आभासों की वास्तविकता को जानने के लिए vestibular testing की जाती है।

    मल डी डेबर्कमेंट सिंड्रोम के उपचार

    Motion sickness के लिये जो प्रचलित दवाईयाॅं हैं, जिनमें Meclizine and scopolamines शामिल हैं वे भी अक्सर लक्षणों को राकेने या कम करने में असरदार नहीं हो पाती हैं। Vestibular rehabilitation व्यायामांे एवं Bengdiazepines से अच्छे परिणाम सामने आये है।

    Tricyclic antidepreseants भी इसके इलाज मे उपयोग मे लिया जाता है। रोगी को जिन गतिविधियो से लक्षण तीव्र होते हो, उन परिस्थितियों से बचना चाहिए । UR with reality environment से भी इसका इलाज संभव है।

    डॉ अनीता भंडारी

    डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है। डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है।

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